Bhilwara Holi: मेवाड़ की परंपराओं से देश-विदेश में अलग पहचान है. उसी मेवाड़ के प्रवेश द्वार भीलवाड़ा में शीतला सप्तमी पर मुर्दे की सवारी में निकलती है. इस दिन यहां लोग जमकर रंग खेलते हैं. भीलवाड़ा के मुख्य बाजार में जीवित व्यक्ति को अर्थी पर लिटाकर मुर्दे की सवारी निकाली जाती है, जिसमें हजारों युवा, बड़े व बुजुर्ग शिरकत करते हैं.
शीतला सप्तमी के दिन पिछले 200 सालों से भीलवाड़ा में लोग शवयात्रा निकालकर होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में शामिल होकर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि 200 साल पहले मेवाड़ के तत्कालीन राजा के किसी परिजन की होली त्योहार पर मौत होने के बाद होली नहीं मनाई गई. उसके बाद से मेवाड़ में होली का त्योहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि यानी रंग सप्तमी के दिन होली खेली जाती है.
जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर उसकी शवयात्रा निकालने की यह परंपरा देखने और सुनने में अजीब तो है, लेकिन आज भी यह पंरपरा मेवाड़ में गाजे-बाजे और रंग-गुलाल के साथ निकाली जाती है.
दिलचस्प यह है कि अर्थी में लेटा जिंदा व्यक्ति हिलता-डुलता रहता है और बदन पर ओढ़ाए कफ़न रुपी वस्त्र को खुद ही ठीक करता रहता है, तो कभी उठ कर पानी पी लेता है. यह यात्रा अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है तो अर्थी पर लेटा जीवित व्यक्ति उठकर भागने की कोशिश करता है और यात्रा में शामिल लोग फिर उसे बिठा देते हैं
शीतला सप्तमी पर शवयात्रा भीलवाड़ा शहर में स्थित चित्तौड़ वालों की हवेली से शहर के भीतरी इलाके बड़े मंदिर तक निकाली जाती है, जिसमें रंग गुलाल उड़ाते हुए शहरवासी अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाते हैं.
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www.facebook.com/Sharadkashyaptc?mibextid=ZbWKwL मनोरंजन के उद्देश्य से निकाली जाने वाली ये शव यात्रा में जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर चार कंधों के सहारे चित्तौड़ वालो की हवेली से शुरू हुई जो स्टेशन रोड होकर शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई बड़े मंदिर के पास जाकर समाप्त हुई.
इस शव यात्रा में लोग अर्थी के आगे ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते और हंसी के गुब्बारे छोड़ते , अश्लील फब्तियां कसते हुए चल रहे थे. वहीं गुलाल के बादलों से पूरा मुख्य बाजार अट गया. शव यात्रा के दौरान सैकड़ों लोग नाचते गाते एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए चल रहे थे किसी तरह का भेदभाव।
शव यात्रा में बीच रास्ते से ही परंपरा अनुसार मुर्दा अर्थी से उठ कर भाग गया और बाद में अर्थी का अंतिम संस्कार बड़े मंदिर के निकट किया गया इस दौरान सुरक्षा के लिए पुलिस केस बड़ी संख्या में जवान तैनात थे
So guys ye hai Suchna Kendra Bhawan Bhilwara, Rajasthan ki Biggest holi festival. 1 April, 2024
Jo ki pure Bhilwara mein sabse badi Holi Festival ka aayojan yahi par hota hai.
aur main aap se
वादा करता हु की आप ने इससे पहले ऐसी होलिका दहन कभी नहीं देखा होगा
I promise that you have never seen such Holi Festival before.🔥🔥🔥
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